गुरु, दिसम्बर 25, 2025

योगी सरकार का कठोर फैसला, प्रदेश में लगाया एस्मा कानून, सरकारी कर्मचारी छह माह तक नहीं कर सकेंगे हड़ताल

Yogi Government Imposes ESMA Law: Government Employees Banned from Striking for Six Months

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए कठोर फैसला लिया है। यूपी सरकार के लिए गए फैसले के बाद प्रदेश के तमाम सरकारी कर्मचारी आने वाले 6 महीनों तक हड़ताल और प्रदर्शन नहीं कर सकेंगे। राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने यह फैसला ऐसे समय पर लिया है जब प्रदेश में बिजली विभाग के कर्मचारी हड़ताल पर जाने वाले थे। फैसले के खिलाफ विरोध भी शुरू हो गया है।

योगी सरकार ने एसेंशियल सर्विसेज मेंटनेंस एक्ट (एस्मा) का इस्तेमाल किया है। कानून सरकारी, अर्द्ध सरकारी विभागों, निगमों और प्राधिकरणों पर लागू होगा। अगले छह महीनों के लिए सरकार ने एस्मा लागू करने की घोषणा की। प्रमुख सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक एम देवराज ने शुक्रवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है।

इस अधिसूचना के बाद ऐसा माना जा रहा है कि बिजली विभाग के कार्मिकों की संभावित हड़ताल को देखते हुए एस्मा लगाया गया है। हड़ताल को लेकर पाबंदी के संबंध में जारी अधिसूचना में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम, 1996 के तहत अगले 6 महीने तक हड़ताल निषिद्ध रहेगी। गौरतलब तलब है कि उत्‍तर प्रदेश में बिजली व्‍यवस्‍था के निजीकरण फैसले का कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। आज से बिजली कर्मचारी बेमियादी हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। इससे पहले योगी सरकार ने पूरे प्रदेश में एस्‍मा लागू कर दी।

ऐसे में अगर बिजली कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं और बिजली आपूर्ति बाधित होती है तो जिम्‍मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि राज्य सरकार द्वारा जारी यह नियम राज्य सरकार के सभी सरकारी कर्मचारी, सरकारी विभागों, कॉरपोरेशन और निगमों पर लागू होगा। बता दें कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल को लेकर पहले ही बिजली विभाग के कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने की आशंका थी। प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों में सुधार प्रक्रिया के तहत पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों को विभाजित करके पांच नई कंपनियां बनाई जाएंगी। इनका चेयरमैन राज्य के सर्वोच्च अधिकारी, मुख्य सचिव होंगे।

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन का मानना है कि इस निर्णय से बिजली कंपनियों के कर्मचारियों, उपभोक्ताओं और किसानों के हित सुरक्षित रहेंगे। सरकार दक्षिणांचल और पूर्वांचल डिस्कॉम को पीपीपी मॉडल के रिक्वेस्ट ऑफ प्रपोजल लाना चाह रही है। किसी राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा यह कानून अधिकतम छह माह के लिए लगाया जा सकता है। इस कानून के लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं, तो उनका यह कदम अवैध और दंडनीय की श्रेणी में आता है। एस्मा कानून का उल्लंघन कर हड़ताल पर जाने वाले किसी भी कर्मचारी को बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है।

एस्मा भारतीय संसद द्वारा पारित अधिनियम है, जिसे 1968 में लागू किया गया था। संकट की घड़ी में कर्मचारियों के हड़ताल को रोकने के लिए यह कानून बनाया गया था। एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को समाचार पत्रों या अन्य माध्यमों से सूचित किया जाता है। पहले भी योगी सरकार हड़ताल को प्रतिबंधित करने के लिए एस्मा लागू कर चुकी है। फरवरी, 2024 में एस्मा लागू करने की घोषणा की गई थी। तब किसान आंदोलन चल रहा था।

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Author: AK

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