जहानाबाद विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए और महागठबंधन के बीच मुख्य मुकाबला, पिछले चुनावों के आंकड़े और उम्मीदवारों की स्थिति की पूरी जानकारी।
Jehanabad Assembly Election 2025: NDA vs Mahagathbandhan
परिचय
जहानाबाद विधानसभा चुनाव 2025 (Jehanabad Vidhan Sabha Chunav 2025) बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहे हैं। यह सीट पिछले कई दशकों से एनडीए और महागठबंधन के बीच गहन मुकाबले का स्थल रही है। राजनीतिक दलों के साथ-साथ कई निर्दलीय उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आजमाते रहे हैं। पिछले चुनावों के आंकड़े और ट्रेंड्स यह दिखाते हैं कि यह विधानसभा क्षेत्र मतदाताओं के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण और रोचक रहा है। इस लेख में हम जहानाबाद विधानसभा के चुनाव इतिहास, उम्मीदवारों की स्थिति और आगामी चुनाव 2025 के संभावित परिणामों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
जहानाबाद विधानसभा चुनाव का इतिहास
पिछले तीन चुनावों का विश्लेषण
पिछले तीन विधानसभा चुनावों में जहानाबाद में कुल 22 उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा पाए।
- 2020 का चुनाव:
2020 में जहानाबाद से कुल आठ उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें से छह उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच रहा। उस समय राजद को 47%, जदयू को 25.8%, और लोजपा को 15.2% मत मिले थे। कुमार कृष्ण मोहन उर्फ सुदय यादव (राजद) विजयी हुए थे। - 2015 का चुनाव:
2015 में नौ उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे, जिनमें सात की जमानत जब्त हुई थी। इस चुनाव में नोटा तीसरे स्थान पर रहा और 5648 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना। मुंद्रिका सिंह यादव (राजद) ने जीत हासिल की थी। - 2010 का चुनाव:
2010 में सर्वाधिक 12 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे, जिनमें से नौ उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई। अभिराम शर्मा (जदयू) विजयी रहे थे।
इस तरह पिछले तीन चुनावों में एनडीए और महागठबंधन के बीच मुख्य मुकाबला हमेशा तय रहा है।
नोटा का बढ़ता प्रभाव
जहानाबाद विधानसभा में नोटा का भी प्रभाव देखा गया है। 2015 में नोटा तीसरे स्थान पर था, जबकि 2020 में 2388 मतदाताओं ने नोटा को चुना। यह संकेत करता है कि मतदाता केवल उम्मीदवारों तक सीमित नहीं रहते बल्कि अपनी असंतोष की भावना व्यक्त करने के लिए नोटा का विकल्प चुनते हैं।
राजनीतिक दलों की स्थिति और गठबंधन
राजद और कांग्रेस का प्रभाव
पिछले चुनावों में राजद का क़ाबिज होना आम बात रही है।
- 2020 में राजद, कांग्रेस और सीपीआई एमएल एल का गठबंधन था।
- 2015 से लेकर अब तक जहानाबाद सीट पर राजद का कब्जा रहा है।
एनडीए और अन्य दल
- जदयू और भाजपा हमेशा एनडीए के साथ गठबंधन में रही हैं।
- लोजपा और हम अलग-अलग चुनाव लड़े हैं।
- आगामी 2025 में एनडीए में जदयू, भाजपा, लोजपा, हम और रालोसपा का गठबंधन है।
इस बार मुकाबला महागठबंधन (राजद, कांग्रेस, सीपीआई एमएल एल) और एनडीए के बीच होगा।
जहानाबाद के चुनावी आंकड़े
पिछले चुनावों में उम्मीदवारों के मत प्रतिशत इस प्रकार रहे:
| चुनाव वर्ष | राजद (%) | जदयू (%) | लोजपा (%) | कांग्रेस (%) | नोटा वोट |
|---|---|---|---|---|---|
| 2020 | 47 | 25.8 | 15.2 | – | 2388 |
| 2015 | 50.87 | – | – | 36.69 | 5648 |
| 2010 | 24.36 | 32.11 | – | 11.97 | – |
यह आंकड़ा दिखाता है कि जहानाबाद में मुख्य मुकाबला हमेशा दो बड़े गठबंधनों के बीच रहा है और नोटा का प्रभाव भी मतदाताओं की सोच को दर्शाता है।
उम्मीदवार और जीत का इतिहास
- 2020: कुमार कृष्ण मोहन (राजद)
- 2015: मुंद्रिका सिंह यादव (राजद)
- 2010: अभिराम शर्मा (जदयू)
1952 से 2020 तक जहानाबाद विधानसभा में 14 चुनाव हुए, जिनमें छह बार राजद ने जीत हासिल की। कांग्रेस, जदयू, सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवार भी समय-समय पर विजयी रहे हैं।
घोसी और मखदुमपुर विधानसभा की स्थिति
घोसी विधानसभा
1952 से 2020 तक 17 चुनाव हुए। जगदीश शर्मा ने आठ बार जीत दर्ज की। उनकी पत्नी शांति शर्मा और पुत्र राहुल कुमार ने भी बाद में चुनाव जीते।
मखदुमपुर विधानसभा
1952 से 2020 तक 17 चुनाव हुए। कांग्रेस ने सात बार जीत हासिल की। निर्दलीय प्रत्याशी और अन्य दलों के प्रतिनिधियों ने भी समय-समय पर जीत दर्ज की।
आगामी 2025 के चुनाव की संभावनाएं
2025 के चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच मुख्य मुकाबला होगा। पिछले चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि राजद का मजबूत पकड़ है, लेकिन गठबंधन और उम्मीदवारों की रणनीति निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
- एनडीए की चुनौती होगी कि जदयू, भाजपा, लोजपा और अन्य गठबंधन को मजबूत बनाए रखे।
- महागठबंधन को अपनी पकड़ और जनसमर्थन बढ़ाना होगा।
- नोटा और नए मतदाताओं का प्रभाव भी चुनाव परिणाम तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
निष्कर्ष
जहानाबाद विधानसभा चुनाव 2025 बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा। पिछले चुनावों के आंकड़े, उम्मीदवारों की जमानत की स्थिति और गठबंधन की रणनीति यह दर्शाती है कि यह सीट हमेशा से ही रोचक और चुनौतीपूर्ण रही है। आगामी चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच मुकाबला मुख्य होगा। मतदाताओं की भागीदारी और नोटा वोट का प्रभाव भी परिणाम तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
जहानाबाद विधानसभा चुनाव इतिहास और आंकड़े यह संकेत देते हैं कि यह सीट बिहार की राजनीति में हमेशा ध्यान आकर्षित करती रही है और 2025 का चुनाव भी इसे साबित करेगा।
- जहानाबाद विधानसभा चुनाव 2025
- एनडीए और महागठबंधन
- बिहार चुनाव परिणाम
- जमानत जब्त उम्मीदवार
- नोटा वोट
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Author: AK
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