गुरु, दिसम्बर 25, 2025

H-1B Visa to Cost 100,000 Dollars: 90 लाख रुपये में मिलेगा H-1B वीजा, ट्रंप के फैसले से भारतीयों की मुश्किलें बढ़ीं

H-1B Visa to Cost 100,000 Dollars, Trump’s Decision May Hurt Indians

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा की फीस बढ़ाकर 100,000 डॉलर कर दी है। इस फैसले से भारतीय पेशेवरों को भारी झटका लग सकता है।


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प्रस्तावना: भारतीयों के सपनों पर पड़ा असर

अमेरिका में काम करने का सपना लाखों भारतीय युवाओं का होता है। खासकर आईटी और टेक्नोलॉजी सेक्टर में करियर बनाने वालों के लिए H-1B वीजा सबसे बड़ा साधन है। लेकिन अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसले ने इन सपनों पर संकट खड़ा कर दिया है।

ट्रंप ने घोषणा की है कि H-1B वीजा की फीस अब 100,000 डॉलर यानी लगभग 90 लाख रुपये होगी। यह बदलाव सिर्फ एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि भारत जैसे देशों के लिए बड़ा झटका है, जहां हर साल हजारों पेशेवर इस वीजा के लिए आवेदन करते हैं।


ट्रंप का बयान: सिर्फ स्किल्ड लोग ही आएंगे अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि अमेरिका को सिर्फ बेहतरीन स्किल्स वाले कर्मचारी चाहिए।

  • ट्रंप का कहना है कि इस कदम से अमेरिकियों की नौकरी सुरक्षित रहेगी।
  • उन्होंने जोर दिया कि बड़ी कंपनियां विदेशियों को ट्रेनिंग देने के बजाय अमेरिकी युवाओं को रोजगार दें।
  • अगर कंपनियां विदेशियों को ट्रेनिंग देती हैं, तो उन्हें इसके लिए भारी-भरकम फीस अमेरिकी सरकार को देनी होगी।

H-1B वीजा क्यों है भारतीयों की पहली पसंद?

आईटी सेक्टर में सबसे बड़ा सहारा

  • भारतीय आईटी कंपनियां और पेशेवर लंबे समय से H-1B वीजा पर निर्भर हैं।
  • अमेरिका की बड़ी टेक कंपनियां जैसे अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट और मेटा बड़ी संख्या में भारतीय कर्मचारियों को इसी वीजा पर काम पर रखती हैं।
  • 2020 से 2023 के बीच जारी किए गए H-1B वीजा में से लगभग 71% भारतीयों को मिले

लागत अब बनेगी सबसे बड़ी चुनौती

पहले जहां H-1B वीजा की रजिस्ट्रेशन फीस महज 215 डॉलर थी और फॉर्म 129 के लिए 780 डॉलर देने पड़ते थे, वहीं अब फीस सीधे 100,000 डॉलर कर दी गई है। यह वृद्धि कई गुना है और भारतीय पेशेवरों के लिए सबसे बड़ी बाधा साबित हो सकती है।


भारतीयों पर कितना असर?

71% भारतीयों को वीजा मिलता था

  • H-1B वीजा पर जाने वाले सबसे ज्यादा लोग भारतीय होते हैं।
  • जून 2025 तक अमेजन ने 12,000 H-1B वीजा अप्रूव करवाए, जबकि माइक्रोसॉफ्ट और मेटा ने लगभग 5000 वीजा लिए।
  • नए नियम लागू होने के बाद इन कंपनियों के लिए भी विदेश से कर्मचारी लाना मुश्किल और महंगा हो जाएगा।

मध्यमवर्गीय युवाओं के लिए बड़ा झटका

  • अब तक भारतीय पेशेवरों के लिए H-1B वीजा उनकी प्रतिभा का टिकट था।
  • कंपनियां उनकी फीस और खर्च उठाती थीं।
  • लेकिन 90 लाख रुपये की लागत ने कई परिवारों के लिए यह सपना लगभग नामुमकिन बना दिया है।

अमेरिकी राजनीति और वीजा नीति

“अमेरिका फर्स्ट” नीति की झलक

डोनाल्ड ट्रंप की वीजा पॉलिसी लंबे समय से विवादों में रही है।

  • उनका जोर हमेशा से रहा है कि अमेरिकियों की नौकरी पहले सुरक्षित की जाए
  • इस फैसले से विदेशी पेशेवरों का बोझ कंपनियों पर और बढ़ जाएगा।

कांग्रेस और बिल का समर्थन

हाल ही में अमेरिकी सांसद जिम बैंक्स ने एक बिल पेश किया था जिसमें वीजा फीस को 60 हजार से डेढ़ लाख डॉलर तक करने का प्रस्ताव रखा गया था।

  • ट्रंप का यह फैसला उसी दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि यह नीति अमेरिकी चुनावी राजनीति से भी जुड़ी है।

भारतीय आईटी सेक्टर की चिंता

कंपनियों का बोझ बढ़ेगा

  • भारतीय कंपनियां अमेरिका में बड़े पैमाने पर प्रोजेक्ट्स पर काम करती हैं।
  • वहां कर्मचारियों को भेजने के लिए अब उन्हें अतिरिक्त करोड़ों रुपये खर्च करने होंगे।
  • इससे छोटे और मध्यम स्तर की कंपनियों पर भारी असर पड़ेगा।

ब्रेन ड्रेन की रफ्तार थमेगी

  • अब तक भारतीय युवा बेहतर अवसरों के लिए अमेरिका जाते थे।
  • फीस बढ़ने के बाद कई प्रतिभाशाली युवाओं को भारत या अन्य देशों में ही अवसर तलाशने पड़ सकते हैं।

विकल्पों की तलाश

क्या अब कनाडा और यूरोप रास्ता बनेंगे?

अमेरिका में बढ़ती कठिनाइयों को देखते हुए कई भारतीय पेशेवर पहले से ही कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया की ओर रुख कर रहे हैं।

  • इन देशों में वीजा प्रक्रिया अपेक्षाकृत आसान और सस्ती है।
  • H-1B वीजा की बढ़ती लागत इस रुझान को और तेज कर सकती है।

भारतीय सरकार की भूमिका

  • विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सरकार को इस मुद्दे पर अमेरिका से बातचीत करनी चाहिए।
  • बड़ी आईटी कंपनियों के दबाव के कारण अमेरिकी प्रशासन पर भी पुनर्विचार करने का दबाव बन सकता है।

अमेरिका में रह रहे भारतीयों की प्रतिक्रिया

अमेरिका में पहले से H-1B वीजा पर काम कर रहे कई भारतीयों ने चिंता जताई है।

  • उनका कहना है कि नए आवेदकों के लिए यह लगभग असंभव स्थिति है।
  • वहीं, जो लोग ग्रीन कार्ड की कतार में हैं, उनकी उम्मीदें और लंबी हो सकती हैं।

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप का यह फैसला भारतीय पेशेवरों के लिए बड़ा झटका है।

  • जहां H-1B वीजा भारतीय युवाओं के सपनों को पंख देता था, अब वही सपना 90 लाख रुपये की कीमत पर मिल रहा है।
  • यह कदम न केवल भारतीयों बल्कि अमेरिकी आईटी कंपनियों के लिए भी चुनौती है, जिन्हें अब वैकल्पिक रास्ते खोजने पड़ेंगे।
  • आने वाले समय में देखना होगा कि क्या अमेरिकी प्रशासन इस फैसले में कोई नरमी दिखाता है या भारतीय पेशेवरों को अपने सपनों की दिशा बदलनी पड़ेगी।

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Author: AK

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