Sun, December 10, 2023

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खालिस्तान मुद्दे पर तनातनी: भारतीयों लोगों और विद्यार्थियों को खूब रास आता है कनाडा, दोनों देशों के खराब संबंधों से व्यापार पर भी असर, जानिए क्या-क्या होता है आयात-निर्यात

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत और कनाडा के बीच कड़वाहट सुर्खियों में है। दोनों देश खालिस्तान के मुद्दे पर आमने-सामने हैं। भारत और कनाडा के बीच जारी तनाव पर वहां रहने वाले भारतीय लोगों और व्यापार पर भी असर शुरू हो गया है। कनाडा में भारतीय मूल के रहने वालों की अच्छी तादात है। एक रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा की कुल आबादी 3 करोड़ 81 लाख है। 2021 की जनसंख्या के अनुसार कनाडा में लगभग साढ़े 18 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं। ये कनाडा की जनसंख्या का 5 प्रतिशत हिस्सा है।

India, Canada relationship getting tense: Can it impact trade relations?

ज्यादातर भारतीय ओंटारियो और ब्रिटिश कोलम्बिया में रहते हैं। पिछले कुछ समय से एलबर्टा और क्यूबेक में भी भारतीय लोगों की जनसंख्या बढ़ रही है। भारतीयों और खासतौर पर पंजाब के सिख समुदाय का कनाडा मनपसंद रहा है। सिख कम्युनिटी का कनाडा की राजनीति में भी अच्छा खासा वर्चस्व है। इसके साथ बड़ी संख्या में भारतीय स्टूडेंट भी कनाडा में पढ़ने जाते हैं। लेकिन पिछले दो दशकों से कनाडा में खालिस्तान गतिविधियों में तेजी आने से भारत सरकार के लिए चिंता लगातार बढ़ती गई। करीब आठ महीनों पहले कनाडा में रहने वाले इंडियन स्टूडेंट्स और वहां रह रहे इंडियन्स के लिए भारतीय विदेश मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी की थी। ये एडवाइजरी कनाडा में भारतीयों के खिलाफ बढ़ रहे हेट क्राइम को लेकर जारी की गई।

MEA issue Advisory to the Indian National in Canada

वहीं बात करें बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार की भी अभी कुछ दिनों पहले तक कनाडा में नागरिकता मिली हुई थी। लेकिन पिछले महीने 15 अगस्त को अक्षय कुमार ने कनाडा की नागरिकता छोड़कर भारतीय नागरिकता ले ली । वहीं साल 2021 में राजधानी दिल्ली के लालकिले में किसान आंदोलन के मुद्दे पर भी कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने मोदी सरकार पर आरोप लगाए थे। इसके बाद भारत सरकार ने भी कनाडा पीएम को जवाब दिया था। आइए जानते हैं कनाडा और भारत के बीच जारी मनमुटाव से दोनों देशों के व्यापार को लेकर क्या असर पड़ेगा। भारत और कनाडा के रिश्ते में खटास के पीछे खालिस्तान का मुद्दा पुराना है। ट्रूडो के कार्यकाल में कई खालिस्तानी आतंकियों ने भारतीय मूल के लोगों पर हमले भी किए, जिसकी भारत ने आलोचना भी की। धीरे-धीरे ट्रूडो का खालिस्तानी प्रेम बढ़ता गया, जिससे भारत और उसके संबंधों में दूरियां भी बढ़ती जा रही हैं। लेकिन जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद स्थिति काफी खराब हो गई है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा देश में हुई एक खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाया गया है, जिसके बाद रिश्तों के बाद जल्द ही सुधरने की आशंका और भी कम हो गई है। दोनों देशों के बीच बढ़ रहे इस तनाव का असर व्यापार पर भी पड़ा है। कनाडा ने भारत के साथ ट्रेड मिशन पर रोक लगा दी है और भारत के भी बिजनेस बिजनेस को मजबूत करने में कोई खास मदद नहीं है।

भारत और कनाडा के बीच इन सामानों का होता है आयात और निर्यात-

How Canada-India Relations Crumbled

आइए जानते हैं दोनों देशों के बीच क्या-क्या आयात निर्यात होता है। भारत द्वारा कनाडा से मंगाए जाने वाले सामान की बात, इसमें न्यूजप्रिंट, कोयला, फर्टिलाइजर, वुड पलप और एल्युमीनियम जैसे सामान शामिल हैं। इसके अलावा, भारत में कनाडा की दाल काफी आरामदायक है। साथ ही, भारत कनाडा से कृषि-बागवानी से संबंधित उत्पाद भी खरीदता है। विवाद का बढ़ना सूरत में भारत में इन वस्तुओं की खरीदारी के लिए किसी अन्य देश का रुख हो सकता है, जिसका सीधा असर कनाडा की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। इसी तरह, कैनेडियन मेडिसिन, रेडीमेड कपड़े, अनस्टिच कपड़े, आयरन-स्टील, क्रोम-जवाहरात आदि भारत से आते हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो अच्छे अच्छे दोनों देशों के लिए जरूरी हैं, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो कनाडा को भारी नुकसान होगा।

मालूम हो कि भारत और कनाडा एक दूसरे के साथ बड़े स्तर पर व्यापार करता है। कनाडा वित्त वर्ष 2023 में 8.16 अरब डॉलर व्यापार के साथ भारत का 35वां सबसे बड़ा व्यापार भागीदार था। इस दौरान भारत ने कनाडा को 4.11 अरब डॉलर का निर्यात किया, जो वित्त वर्ष 2022 में 3.76 अरब डॉलर रहा था। कनाडा से आयात 29.3 फीसदी बढ़कर 4.05 अरब डॉलर हो गया। वहीं ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के कोफाउंडर अजय श्रीवास्तव ने कहा, इसलिए, व्यापार संबंध बढ़ते रहेंगे और दिन-प्रतिदिन की घटनाओं से प्रभावित नहीं होंगे। कुछ राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत रुक गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 सितंबर को कनाडा के अपने समकक्ष जस्टिन ट्रूडो को कनाडा में चरमपंथी तत्वों की लगातर भारत विरोधी गतिविधियों को लेकर भारत की चिंताओं से अवगत कराया था।

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