अखिलेश यादव और ममता बनर्जी की मुलाकात के बाद बनने लगे नए समीकरण, सपा अध्यक्ष ने कहा- कांग्रेस पहले अपनी भूमिका तय करें

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समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच शुक्रवार को हुई मुलाकात सियासी गलियारों में चर्चा में बनी हुई है। बता दें कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के लिए कोलकाता पहुंचे सपा मुखिया अखिलेश यादव ने शुक्रवार को सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात की। अखिलेश यादव ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक नया मोर्चा या गठबंधन सामने आएगा, जिसमें कांग्रेस नहीं होगी। अखिलेश यादव ने कहा आप इसे मोर्चा, गठबंधन कह सकते हैं, चुनाव से पहले किसी न किसी रूप में कुछ सामने आएगा, क्योंकि हर कोई परिवर्तन चाहता है।



सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा मुद्दा ये नहीं है कि कौन सामने होगा, मुद्दा ये है कि बीजेपी जो देश को बर्बाद कर रही है, उसे हटा देना चाहिए। यह पद (पीएम) बड़ा है, हम सब एक साथ बैठेंगे और इस पर बाद में चर्चा करेंगे। हम यूपी में 80 पर 80 हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। बीजेपी को हराने के लिए हम दीदी (ममता बनर्जी) के साथ हैं। दोनों नेताओं के बीच करीब 55 मिनट तक बातें हुईंं हैं। इस मुलाकात के बाद अखिलेश ने कहा, बेरोजगारी और महंगाई में वृद्धि हुई है। किसान संघर्ष कर रहे हैं और भाजपा ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी के सपने दिखा रहे हैं, लेकिन युवाओं को रोजगार कब मिलेगा? कल की बैठक में 2024 के चुनाव पर चर्चा होगी।
ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने कांग्रेस को लेकर सपा की मंशा स्पष्ट कर दी। उन्होंने कहा कांग्रेस चुनाव को लेकर अपनी भूमिका तय करे। कई राज्यों के सीएम एक ऐसे गठबंधन की कोशिश कर रहे हैं जो मिलकर काम करे। तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर कोशिश कर रहे हैं, स्टालिन कोशिश कर रहे हैं, बिहार की मुख्यमंत्री और ममता बनर्जी भी कोशिश कर रही हैं। गठबंधन के लिए नाम पर बाद में चर्चा होगी। वहीं, ममता बनर्जी इसी मुद्दे पर 23 मार्च को ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक से भी मुलाकात करेंगी। वहीं तृणमूल कांग्रेस सुदीप बंद्दोपाध्याय सांसद ने कहा कि यह सोचना भ्रम है कि कांग्रेस विपक्ष का ‘बिग बॉस’ है। ममता बनर्जी 23 मार्च को नवीन पटनायक से मुलाकात करेंगी। हम अन्य विपक्षी दलों से भी बीजेपी और कांग्रेस दोनों से दूरी बनाने के लिए बात करेंगे। उन्होंने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि यह तीसरा मोर्चा है, लेकिन क्षेत्रीय दलों के पास बीजेपी का मुकाबला करने की ताकत है।