29 साल पहले आज के दिन अयोध्या में लाखों कार सेवकों ने बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया था, वर्षों से चला रहा था विवाद

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साल 1992 में आज के दिन अयोध्या में लाखों का सेवकों ने बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिरा दिया था। उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे। राज्य में भाजपा कल्याण सिंह मंत्री थे।अयोध्या की बाबरी मस्जिद को लेकर सैकड़ों साल से विवाद चला आ रहा था। भाजपा नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण के लिए 1990 में आंदोलन शुरू किया। 5 दिसंबर 1992 की सुबह से ही अयोध्या में विवादित ढांचे के पास कारसेवक पहुंचने शुरू हो गए थे। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने विवादित ढांचे के सामने सिर्फ भजन-कीर्तन करने की इजाजत दी थी। लेकिन अगली सुबह यानी 6 दिसंबर को भीड़ उग्र हो गई और बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिरा दिया। विवाद होने की वजह से 1949 से ही बाबरी मस्जिद पर ताला लगा दिया गया था। उस वक्त तक अयोध्या छावनी बन चुकी थी। बताया जाता है कि किसी भी प्रकार की अनहोनी को रोकने के लिए 2,300 से ज्यादा पुलिसवाले तैनात किए गए थे।

लेकिन 12 बजे के आसापास कुछ युवा कारसेवक किसी तरह बाबरी मस्जिद के गुंबद तक पहुंच गए। उनका यहां पहुंचना बाकी कारसेवकों को इशारा था कि सुरक्षा घेरा तोड़ा जा चुका है। इसके बाद बाकी कारसेवक भी सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए मस्जिद की तरफ बढ़ गए। कहते हैं कि उस समय 1.5 लाख से ज्यादा कारसेवक वहां मौजूद थे और सिर्फ 5 घंटे में ही भीड़ ने बाबरी का ढांचा गिरा दिया गया था। शाम 5 बजकर 5 मिनट पर बाबरी मस्जिद जमींदोज हो गई। इसके बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे। इन दंगों में 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। मामले की एफआईआर दर्ज हुई और 49 लोग आरोपी बनाए गए। आरोपियों में लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, चंपत राय, कमलेश त्रिपाठी जैसे भाजपा और विहिप के नेता शामिल थे। मामला 28 साल तक कोर्ट में चलता रहा और इसी साल 30 सितंबर को लखनऊ की सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है।