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ज्ञानवापी मामले में गुरुवार को कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की खारिज कर दिया है। मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया था कि ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए, लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस याचिका पर सुनवाई संभव है। इसी वजह से मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज किया गया है। गुरुवार को ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपने सहित तीन मांगों को लेकर भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान के मुकदमे की सुनवाई वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडेय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में हुई। विश्व वैदिक सनातन संघ के एडवोकेट अनुपम द्विवेदी के मुताबिक, अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि मुकदमा सुनवाई योग्य है। इस मामले में अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी। मुस्लिम पक्ष ने 7 नवंबर को इससे संबंधित याचिका दायर की थी। बता दें कि हिंदू पक्ष की ओर से ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी समेत अन्य धार्मिक स्थलों पर नियमित पूजा अर्चना करने की अनुमति दिए जाने की मांग की गई थी। वहीं मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में पोषणीय नहीं होने की दलील देते हुए इस केस को खारिज करने की मांग की थी। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलील को खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा है कि सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 07 नियम 11 के तहत इस मामले में सुनवाई हो सकती है। गुरुवार को वाराणसी कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है। गौरतलब है कि अगस्त 2021 में 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी में पूजन और विग्रहों की सुरक्षा को लेकर याचिका डाली थी। इस पर सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वे कराने का आदेश दिया था। हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला। जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि ये एक फव्वारा है। उसके बाद से ही यह मामला अदालत में चल रहा है।