मध्यप्रदेश बना देश का पहला MBBS की पढ़ाई हिंदी में कराने वाला राज्य

JOIN OUR WHATSAPP GROUP
देश में पहली बार मध्यप्रदेश में MBBS की पढ़ाई हिन्दी में होगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भोपाल में रविवार को इसकी 3 किताबों का विमोचन किया। उन्होंने इस क्षण को देश में शिक्षा क्षेत्र के पुनर्निर्माण का क्षण बताया और कहा कि सबसे पहले मेडिकल की शिक्षा हिन्दी में शुरू करके शिवराज सिंह ने पीएम मोदी की इच्छा पूरी की है। देशभर में 8 भाषाओं में पढ़ाई हो रही है। यूजी नीट देश की 22 भाषाओं में हो रही है। 10 राज्य इंजीनियरिंग की पढ़ाई मातृभाषा में करवा रहे हैं। भोपाल में किताबों के विमोचन के बाद शाह ग्वालियर के लिए रवाना हो गए।
किताब विमोचन के दौरान अमित शाह ने कहा कि मेडिकल, इंजीनियरिंग में जो मातृभाषा के समर्थक हैं, उनके लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। अब हमें अपनी भाषा में शिक्षा मिलेगी। मप्र का चुनाव जब हो रहा था, घोषणा पत्र के भीतर यह जिक्र था। नई शिक्षा नीति का सबसे पहले मप्र ने जमीं पर उतारा है। आज यह नई शुरुआत हो रही है। इसके लिए हिन्दी प्रकोष्ठ का गठन हुआ।


मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री की माने तो पिछले चार महीनों में 97 डॉक्टरों ने मिलकर 3 किताबों को तैयार किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह काम चिकित्सा शिक्षा विभाग को दिया था। डॉक्टरों के साथ कम्प्यूटर ऑपरेटर्स की टीम बनाई गई। इस टीम ने 24 घंटे, सातों दिन लगकर MBBS फर्स्ट ईयर की 5 किताबों का हिन्दी में अनुवाद किया। इस प्रक्रिया में तकनीकी पहलुओं और छात्रों के भविष्य की चुनौतियों का भी ख्याल रखा गया है। इन किताबों को इस प्रकार अनुवादित कर तैयार किया गया है, जिसमें शब्द के मायने हिन्दी में ऐसे न बदल जाएं कि उसे समझना मुश्किल लगे। अब सवाल यह है कि आखिर यह कब तक लागू होगा तो काउंसिलिंग के बाद आने वाले MBBS के नए बैच के छात्रों को हिन्दी में अनुवादित की गई किताबों से पढ़ाया जाएगा। 15 नवंबर से नए बैच की पढ़ाई हिन्दी में होगी। इस शुरुआत के बाद मप्र के ग्रामीण अंचलों में रहने वाले हिन्दी माध्यम से पढ़ाई करने वाले छात्र उत्साहित हैं।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आगामी अपने प्लान के बारे में भी बताया। उनका कहना है कि अभी जो ट्रांसलेशन की गई है उसमें हिन्दी को भी हमने कठिन नहीं बनाया। किडनी को किडनी ही लिखा जाएगा, यकृत नहीं लिखा जाएगा। इसी साल 6 इंजीनियरिंग और 6 पॉलिटेक्टनिक कॉलेज में हिन्दी में पढ़ाई होगी। बाद में आईआईटी में भी हिन्दी में पढ़ाई होगी। आईआईएम की पढ़ाई भी हिन्दी में करवाएंगे।इसके लिए सिलेबस के अनुवाद का काम शुरू हो गया है। छह माह बाद, पॉलीटेक्निक और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिन्दी में करने का मौका मिलेगा।