सीएम केजरीवाल और आप के अन्य नेताओं पर एफआईआर की मांग को कोर्ट ने किया खारिज

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दिल्ली में साकेत कोर्ट ने दिल्ली के सीएम केजरीवाल सहित आप के कई नेताओं को राहत दी है। दरअसल विधानसभा चुनाव 2020 के एक मुद्दे को लेकर आप नेता प्रकाश जरवाल पर आरोप लगाया गया है कि 2020 में आरक्षित सीट से चुनाव जीतने वाले जरवाल बैरवा/बेरवा समुदाय से संबंधित है, जो दिल्ली में ओबीसी की श्रेणी में आता है। इसी को लेकर प्रकाश जरवाल के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के सदस्य दल चंद कपिल ने दर्ज कराई थी। जिन्होंने 2015 और 2020 में देवली (एससी) निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा।
इसी मामले को लेकर आज साकेत कोर्ट में सुनवाई हुई थी जिसके दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के संबंध में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल,आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय और प्रकाश जरवाल समेत अन्य लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया गया। यह याचिका सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत दायर की गई थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वृंदा कुमारी ने 1000 रुपये के जुर्माना लगाते हुए शिकायत खारिज करते हुए अपने दी आदेश में कहा कि एफआइआर दर्ज करने या संज्ञान लेने का कोई आधार नहीं है। इसलिए सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत आवेदन को 1000 रूपये के जुर्माना के साथ खारिज किया जाता है।
शिकायत में जरवाल पर आरोप लगाया गया कि भारत के चुनाव आयोग के अधिकारियों को गलत सूचना देने और धोखा देने के लिए झूठा और जाली सर्टिफिकेट जारी किया गया। निर्वाचन क्षेत्र से उनके चुनाव लड़ने पर दिल्ली विधानसभा में एससी समुदाय के प्रतिनिधित्व एक सीट से कम कर दिया। जरवाल एससी सीट से चुनाव लड़ने के योग्य नहीं है। कपिल ने इसके साथ ही केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि केजरीवाल और गोपाल राय संयुक्त रूप से और गंभीर रूप से गैर एससी उम्मीदवार को पार्टी का टिकट देकर विधानसभा में एससी प्रतिनिधित्व को कम करने की साजिश के लिए उत्तरदायी हैं। कपिल ने अप्रैल, 2021 में पुलिस में शिकायत दी थी लेकिन कोई एफआइआर दर्ज नहीं की गई। संबंधित पुलिस आयुक्त के पास भी शिकायत दी गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
अदालत के समक्ष यह प्रस्तुत किया गया कि एफआइआर दर्ज नहीं करने से पुलिस अधिकारी एससी/एसटी एक्ट की धारा 4 और एससी/एसटी नियम 1995 के नियम 5 (1) के तहत उत्तरदायी हैं। शिकायत में प्रस्तावित प्रतिवादियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग की गई। जरवाल के नाम से जारी एससी सर्टिफिकेट पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह सर्टिफिकेट एसडीएम द्वारा ऐसे एससी/एसटी व्यक्ति की श्रेणी के तहत जारी किया गया था, जो दूसरे राज्य या केंद्रशासित प्रदेश से पलायन कर गए थे।