हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस फिलहाल अपनी ही अंतर्कलह से निपट नहीं पा रही है

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हिमाचल प्रदेश मेम सियासी पारा परवान चढ़ रहा है। कारण है आगामी विधानसभा चुनाव। एक तरफ राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर हैं तो दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस आपस में ही उलझी हुई दिखाई दे रही है। कांग्रेस फिलहाल नेताओं के दल छोड़ने और पार्टी के अंदर जारी कथित झगड़ों का सामना कर रही है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा पहले ही जाकर आवाहन कर चुके हैं कि कांग्रेस हमारा साथ दें हम हिमाचल को ताकत देंगे। इसको लेकर भी दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने तंज कसा था.
सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा था कि कांग्रेस और भाजपा की यारी किसी से छिपी नहीं है। कांग्रेस चुनाव के पहले भाजपा का समर्थन करेगी, फिर चुनाव के बाद भाजपा में शामिल भी हो जाएगी।कांग्रेस को वोट देना और भाजपा को वोट देना बराबर है।
कांग्रेस और भाजपा की यारी किसी से छिपी नहीं है।
— Manish Sisodia (@msisodia) October 11, 2022
कांग्रेस चुनाव के पहले भाजपा का समर्थन करेगी, फिर चुनाव के बाद भाजपा में शामिल भी हो जाएगी।
कांग्रेस को वोट देना और भाजपा को वोट देना बराबर है। https://t.co/dg9s4VtLsZ
सिसोदिया ने ट्वीट कर चुनाव को भाजपा कांग्रेस वर्सेज आम आदमी पार्टी बना डाला है। लेकिन कांग्रेस के साथ अभी दूसरे के साथ देने की बात तो दूर है अभी उसे अपने लोगों से ही सहमति नहीं बन पा रही है। कहा जा रहा है कि ऐसे में राज्य में तीन बार के विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू का नाम मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर उभर रहा है। हालांकि, अभी तक इसे लेकर कांग्रेस की तरफ से कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन सुक्खू फिलहाल टूटती कांग्रेस के चुनाव समिति के प्रमुख की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
नादौन से तीन बार के विधायक सुक्खू राज्य में कांग्रेस की चुनाव समिति के प्रमुख हैं। उन्होंने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र राजनीति से की थी और बाद में पार्टी के प्रदेश प्रमुख बने। कहा जा रहा है कि गढ़ कहे जाने वाले नादौन से सुक्खू का टिकट लगभग तय है। 58 वर्षीय नेता को स्थानीय लोगों और पार्टी के कैडर में अच्छा समर्थन हासिल है। लेकिन सुक्खू के लिए यह राह आसान नहीं होने वाला है। कांग्रेस की आपसी कलह एक बड़ी चुनौती साबित होने वाली है। पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बाद खींचतान और बढ़ गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि 2022 चुनाव के दौरान राज्य में सीएम पद को लेकर तनाव बढ़ सकता है।
हिमाचल में कुल 68 सीट है जिसको लेकर अभी हर पार्टी जोर आजमाइश कर रही है। इतना ही नहीं पार्टी के अंदर जो समूह बन गए हैं वे अपने नेता के लिए जदोजहद कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की तरफ से ली गई चुनाव से पूर्व बैठक के दो दिन बाद ही नेताओं और टिकट की चाह रखने वाले दिल्ली में जुटने लगे थे। जबकि सितंबर में सुजानपुर में प्रदेश कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह का ना पहुँचना भी कई सारे सवाल छोड़ गया। बताया जा रहा है कि उनके अपने लोगों को टिकट देने के मामले में विचार न करने पर वे नाराज चल रही हैं। जबकि विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री और सुक्खू भी इसी बात को लेकर नाराज हैं।

बताया जा रहा है इन सब मामलों में कुल 20 सीट ऐसे हैं जहां बात नहीं बन पा रही है जिसके लिए इंतजार किया जा रहा है 14 अक्टूबर का जब प्रियंका गांधी की रैली होने वाली है। कांग्रेस अभी आपसी जदोजहद में फंसी है जबकि भाजपा अपनी तैयारी कर चुकी है। पीएम मोदी ने 5 अक्टूबर को बिलासपुर में जनसभा की थी। वह 13 अक्टूबर को चंबा में जनसभा को संबोधित करने वाले हैं।
इतना ही नहीं कांग्रेस तो तब तैयारियों पर जोड़ दे जब उसके आपसी मामले सरल हो। नेताओ का दल बदलना भी कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। सितंबर के अंत में ही पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हर्ष महाजन ने कांग्रेस को अलविदा कहने का फैसला कर लिया। उनका कहना था कि पार्टी को अकेले ही आगे बढ़ाने वाले वीरभद्र के निधन के बाद कांग्रेस जर्जर हो गई है, जिसके पास न तो नेतृत्व है और न ही विश्वसनियता है। इतना ही नहीं वरिष्ठ नेता और 5 बार के विधायक राम लाल ठाकुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष का पद छोड़चुके हैं। उनसे पहले पवन काजल और लखविंदर राणा ने भाजपा का रुख किया था। साथ ही पूर्व टेलीकॉम मंत्री सुखराम के पोते आश्रय शर्मा भी कांग्रेस छोड़ चुके हैं।