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‘’वादा था हर साल दो करोड़ नौकरियां देने की। आठ सालों में कुल देनी थी 16 करोड़ नौकरियां लेकिन 2024 तक सिर्फ 10 लाख नौकरी की बात हो रही है, 60 लाख पद तो सिर्फ सरकारों में खाली पड़े हैं, 30 लाख केंद्र में पड़े हैं… आखिर जुमलेबाजी कब तक?’’ कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला का यह ट्विट उस वक्त आया जब देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 लाख रोजगार देने की बात कही। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने तो ये भी कहा कि साल 2014 में देश के ऊपर 56.51 लाख करोड़ रुपये कर्ज था लेकिन अभी देश में 139 लाख करोड़ रुपये देश के ऊपर कर्ज है। रोजगार, नौकरी और देश की अन्य समस्याओं पर कांग्रेस लगातार भाजपा सरकार को घेर ही रही थी कि सीएमआई की रिपोर्ट ने इस मुद्दे को और हवा देने का काम कर दिया।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानि सीएमआईई ने बेरोजगारी को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया है जिसमें केंद्र की मोदी सरकार के सभी दावों का पोल खुलता दिखाई दे रहा है। रिपोर्ट की माने तो जून में बेरोजगारी दर 0.68 फीसदी बढ़कर 7.8 फीसदी तक पहुंच चुकी है। इस एक महीने में ही 1.3 करोड़ लोगों की रोजगार चली गई लेकिन केन्द्र सरकार ने मई महीने में 80 लाख लोगों को रोजगार दिया था उसके बावजूद देश में लगभग 50 लाक लोगों का बेरोजगार होना केंद्र सरकार के ऊपर बड़ा आरोप है।
केंद्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा ध्यान देने का दावा करती है जबकि रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीणों में बेरोजगारी दर शहरों के अपेक्षा ज्यादा है। हालांकि यह भी रिपोर्ट में कहा गया है कि मानसून आने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार दर बढ़ने के आसार हैं। बेरोजगारी वाले राज्यों में हरियाणा सबसे ऊपर है जबकि यूपी सबसे नीचे हैं। अगर बात दिल्ली की करें तो भले ही केजरीवाल सरकार रोजगार को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करती हो लेकिन रिपोर्ट ने 10.3 फीसदी बेरोजगारी दर बताया है।
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार किसानों को लेकर कई तरह की योजनाएं चला रहे हैं। भाजपा सरकार किसानों और महिलाओं पर विशेष रुप से ध्यान देने वाली सरकार होने का दावा करती है लेकिन रिपोर्ट के अनुसार कृषि क्षेत्र में लगभग 80 लाख रोजगार की भारी कमी पाई गई जो मुख्य रुप से पौधारोपण से जुड़े हैं। फसलों की बुआई में जरुर 40 लाख लोगों को काम मिला लेकि यह आंकड़ा साल 2020 और 2021 के मुकाबले काफी कम है। कर्मचारियों की मांग बढ़ने से जून में भर्ती गतिविधियों में जरुर 22 फीसदी की तेजी आई लेकिन इसमें भी फ्रेशर की मांग ज्यादा थी। इसका कारण बिल्कुल स्पष्ट था कि कंपनियां कोविड के बाद एक तरह से फिर से शुरु हो रही थीं और उनके पास फंडिंग की कमी होने से कर्मचारियों को तनख्वाह में समस्या आ रही है। फिलहाल डॉलर के मुकाबले रुपये 79 तक पहुंच चुका है।
हरियाणा को बेरोजगारी मामले में टॉप पर रखे जाने पर हरियाणा सरकार ने रिपोर्ट के ऊपर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। हरियाणा सरकार का कहना है कि सीएमआईई की रिपोर्ट गलत है। जिसके जवाब में नेता प्रतिपक्ष भूपेन्द्र सिंह बघेल ने हरियाणा सरकार पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यूपी में सीएमआईई के आंकड़ों का बखान कर वोट बटोरने वाली भाजपा हरियाणा में बेरोजगारी को लेकर सीएमआईई की रिपोर्ट को गलत बता रहे हैं। हुड्डा ने कहा कि कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में भी सीएमआईई ने सर्वे किया था। भाजपा ने उसी के दम पर वोट बटोरा था। अब हरियाणा में बेरोजगारी को लेकर सीएमआईई की रिपोर्ट को गठबंधन सरकार वाले गलत बता रहे हैं। इस रिपोर्ट में प्रदेश सरकार की पोल खोल कर रख दी है, जिससे साफ जाहिर होता है कि प्रदेश बेरोजगारी में नंबर एक पर है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का यह दोगला चेहरा सबके सामने आ गया है। बेरोजगारी के मुद्दे पर अक्सर सरकार को घेरने वाले बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया है। हालांकि उन्होंने साथ ही पीएम मोदी को यह भी याद दिला दिया कि हर साल 2 करोड़ रोजगार देने का संकल्प पूरा करने के लिए और तेज गति से कदम बढ़ाने होंगे।
बेरोजगारी को लेकर कांग्रेस नेता रणदीप सूरजेवाला द्वारा दिए गए आंकड़े गलत या राजनीतिक तथ्यों से प्रेरित हो सकते हैं लेकिन खुद केंद्र सरकार ने इस साल मार्च में अलग-अलग विभागों में रिक्त पदों की जानकारी दी थी। इसके मुताबिक सिर्फ केंद्र सरकार के विभागों में करीब 8.70 लाख पद खाली हैं। इनमें से 3 लाख से ज्यादा पद सिर्फ रेलवे में खाली हैं। रेल मंत्रालय ने बताया था कि करीब 1 लाख 40 हजार पदों पर भर्ती की स्थिति परीक्षा के चरण में है। इसके अलावा गृह मंत्रालय में 1.30 लाख और रक्षा मंत्रालय में भी करीब ढाई लाख पद खाली हैं।