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भारत में प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को ‘राष्ट्रीय बालिका दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। आज पूरी दुनिया में भारत की बेटियां अपना परचम लहरा रही हैं। अभिनय हो या वायु सेना, अंतरिक्ष हो या जमीन बेटियों ने हर क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। पहले जहां बेटियों के पैदा होने पर उनकी हत्या या बाल विवाह जैसे कुकर्म को जैसे अंजाम दिया जाता था, वहीं अब लोग बेटी पैदा होने पर लोग गर्व करते हैं। देश की आजादी के बाद से भारत सरकार ने बेटियों और बेटों में भेदभाव को खत्म करने के लिए सरकार ने 2008 से 24 जनवरी को ‘राष्ट्रीय बालिका दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इसके अलावा 11 अक्टूबर को विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है।
24 जनवरी को ही बालिका दिवस क्यों है:
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 24 जनवरी 1966 में भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी, इसलिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 2008 में 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। ताकि महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जा सके। इस दिन की शुरुआत करने की यह वजह भी थी कि समाज की बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के प्रति जागरूक करना और समाज में समानता देना है।
बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य:
बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य देश की बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। इसका खाश उदेश्य समाज में कन्या भ्रूण हत्या, लैंगिक असमानता से लेकर यौन शोषण और भेदभाव जैसे सभी मुद्दों से बालिकाओं को जागरुक करना है।
साथ हीं बेटियों के साथ-साथ समाज को भी इस लैंगिग भेदभाव के बारे में जागरूक करना है।