राष्ट्रीय युवा दिवस 2021: स्वामी विवेकानंद की जयंती आज

पूरे विश्व को अपनी तेजस्वी वाणी एवं दृढ़ इच्छाशक्ति के जरिए भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का डंका बजाने वाले स्वामी विवेकानंद ने केवल वैज्ञानिक सोच तथा तर्क पर बल ही नहीं दिया, बल्कि धर्म को लोगों की सेवा और सामाजिक परिवर्तन से जोड़ दिया। महान विचारक और आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था । उनका वास्तविक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। उन्हें बचपन से हीं संगीत, साहित्य और दर्शन में विशेष रुचि रही थी साथ ही वे तैराकी, घुड़सवारी और कुश्ती का भी शौक रखते थे।
बाद में आध्यात्म के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्यों को देख देश-विदेश के युवाओं का ध्यान उनकी ओर आकर्षित हुआ। भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस को युवा दिवस के रूप में काफी धूमधाम से मनाया जाता है । विवेकानंद का संपूर्ण जीवन, उनके संघर्ष और उनकी विचारधारा लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं क्योंकि उनके विचारों पर चलकर ही लाखों-करोड़ों युवाओं ने अपने जीवन में सही बदलाव कर उसे सार्थक बनाया ।
शिकागो की विश्व धर्म महसभा में छोड़ी एक अमित छाप
वर्ष 1893 में विवेकानंद को अमेरिका के शिकागो में आयोजित किए गए विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला था । इसके बाद विवकानंद को संपूर्ण विश्व भर में आध्यात्मिक गुरु की पहचान मिली । विवेकानंद रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे । बता दें कि विवेकानंद ने 1897 में कोलकाता में रामकृष्ण मिशन और 1898 को गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की। अपने गिरते स्वास्थ्य की वजह से विवेकानंद अपने आखिरी दिनों में बेलूर मठ में ही रहने लगे थे । आखिरकार 39 वर्ष की आयुु में 4 जुलाई 1902 को महानपुरुष स्वामी विवेकानंंद की मृत्यु हो गई । मृत्यु के बाद उनका दाह संस्कार बेलूर में ही उसी गंगा घाट पर किया गया जहां उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का किया गया था
स्वामी विवेकानंद के विचार
- उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये।
- किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आए-आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
- ख़ुद को कमज़ोर समझना सबसे बड़ा पाप है।
- ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं, वो हम ही हैं जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है।
- तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना है। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही है।
- अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है।
- बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप हैं।
- उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो, तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो, तुम तत्व नहीं हो, ना ही शरीर हो, तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के सेवक नहीं हो।
- विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहां हम खुद को मज़बूत बनाने के लिए आते हैं।
- खुद को कमज़ोर समझना सबसे बड़ा पाप है।
- कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है. ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है. अगर कोई पाप है, तो वो ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं.
- उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता।
- एक शब्द में, यह आदर्श है कि तुम परमात्मा हो।