
उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र में राधाअष्टमी का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। कृष्ण नगरी मथुरा में राधा रानी का जन्मदिन मनाने के लिए देश भर से भक्त आए हुए हैं। बता दें कि कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही राधा अष्टमी भी मथुरा में धूमधाम के साथ मनाई जाती है। इस दिन राधा का जन्म हुआ था इसलिए इसे राधा अष्टमी के तौर पर मनाते हैं। बरसाने में इसे धूमधाम से मनाया जाता है, क्योंकि राधा बरसाने की ही थीं। बरसाना के सभी मंदिरों में राधा अष्टमी की खास रौनक दिखती है। मंगलवार सुबह राधा रानी का जन्म होते ही मंदिर स्थल राधा रानी के जयघोष से गूंज उठा । कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन के बाद राधा अष्टमी मनाई जा रही है। राधा रानी ने भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी को अनुराधा नक्षत्र और मूल नक्षत्र में वृषभानु के घर जन्म लिया था। ब्रज की कुंज गलियों में हर ओर राधे-राधे की गूंज है । हर साल राधा रानी का जन्म मनाने के लिए देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु बरसाना पहुंचते हैं । कहा जाता है कि श्री कृष्ण के बिना राधा अधूरी है । कृष्ण के नाम से पहले उनका नाम लेना जरूरी है । वेद, पुराण में राधा की प्रशंसा ‘कृष्ण वल्लभ’ के तौर पर की गई है । भगवान श्रीकृष्ण का नाम राधा के साथ लिया जाता है, जबकि उनकी पत्नी रुक्मिणी हैं । राधा अष्टमी के दिन श्रीकृष्ण और राधा की पूजा की जाती है । बरसाना की गलियों में पूरी रात चहल-पहल रहती है । कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है । कार्यक्रमों की शुरुआत धार्मिक गीतों और भजन से होती है, भक्त इस मौके पर उपवास रखते हैं ।
राधाष्टमी के बाद ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत पूरा होता है–
धार्मिक मान्यता है कि भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति राधा जाप से मिलती है। राधा-कृष्ण के भक्तों के लिए राधा अष्टमी का विशेष महत्व है । मान्यता है कि जो लोग इस व्रत करते हैं उनके घर में धन की कमी नहीं होती । उन लोगों पर श्रीकृष्ण और राधा की कृपा होती है । कहा जाता है कि राधाष्टमी के व्रत के बाद ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत पूर्ण होता है। यही वजह है कि अपने आराध्य कृष्ण को मनाने के लिए भक्त पहले राधा रानी को प्रसन्न करते हैं । कहा जाता है कि राधा अष्टमी का व्रत करने से पाप नष्ट हो जाते हैं । राधा जन्मोत्सव की कथा सुनने से भक्त सुखी, धनी और सर्वगुण संपन्न बनता है। श्रीमद्देवीभागवत में श्री राधा जी की आराधना के विषय में कहा गया है कि इनकी पूजा न की जाए तो भक्त श्री कृष्ण की पूजा का अधिकार भी नहीं रखता, क्योंकि राधा ही भगवान श्री कृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी मानी गई हैं। देश में लागू भक्त श्री कृष्ण तरह ही राधा रानी के भी उपासक हैं। राधा अष्टमी को मनाने के लिए देश भर से भक्त यहां आते हैं। कई ऐसे भी श्रद्धालु है जन्माष्टमी को यहां मथुरा आ जाते हैं उसके बाद राधा अष्टमी का त्योहार मना कर ही वापस लौटते हैं।