
धार्मिक दृष्टि से आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि सूर्य ग्रहण के साथ भगवान शनि का भी खास दिन है। बता दें कि आज के ही दिन सूर्यग्रहण और शनि जयंती एक साथ होने के अलावा इस दिन शनिदेव मकर राशि में ‘वक्री’ रहेंगे। जहां एक तरफ पिता सूर्यदेव ग्रहण के साए में रहेंगे तो वहीं पुत्र शनि की जयंती मनाई जा रही है। सुबह से ही देश भर में शनि मंदिरों में भक्तों की अपने आराध्य की पूजा अर्चना करने के लिए पहुंच रहे हैं । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर भगवान शनि का जन्म हुआ था। शनि जयंती के दिन ही सूर्य ग्रहण का संयोग भी पड़ रहा है। कुल 148 वर्ष बाद यह संयोग देखने को मिलेगा। इससे पहले 26 मई, 1873 में पड़ा था। यह साल का पहला सूर्य ग्रहण भी है । सूर्यग्रहण का काल कुल पांच घंटे का होगा। ग्रहण दोपहर 1:42 मिनट से शुरू होकर शाम 6:41 मिनट तक रहेगा। इस दौरान चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाएगा और तीनों खगोलीय पिंड एक दूसरे के साथ एक लाइन में आ जाएंगे, जिससे सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पहुंचने से रोक जाएगा। हालांकि ये सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। जिस वजह से सूतक काल मान्य नहीं होगा। वहीं इसी दिन शनि जयंती व वट सावित्री व्रत का भी संयोग है। सूर्य ग्रहण ‘रिंग ऑफ फायर’ के रूप में होने जा रहा है। नासा के अनुसार, कनाडा, ग्रीनलैंड और रूस के कई हिस्सों में ग्रहण दिखाई देगा। न्यूयॉर्क, वाशिंगटन डीसी, लंदन और टोरंटो जैसे देशों में आंशिक ग्रहण दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण भारत में पूरी तरह से दिखाई नहीं देगा। लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में ग्रहण दिखाई देगा, जबकि अन्य इसे नहीं देख पाएंगे, लेकिन अगर आप साल का पहला सूर्य ग्रहण देखना चाहते हैं तो चिंता मत करिए, क्योंकि अब कोई भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘रिंग ऑफ फायर’ देख सकता है। बता दें कि ग्रहण को देखने के लिए सुरक्षा के लिहाज से सूर्य ग्रहण देखने वाले चश्मे का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
भगवान शनि के साथ शिव-हनुमान जी की भी पूजा करना फलदायी माना जाता है–

आज जयंती पर शनि भगवान को इस प्रकार करें पूजा अर्चना। शनिदेव के आराध्य भगवान शिव हैं। इसलिए शनि जयंती के दिन शनि देव के साथ भगवान शिव की पूजा करना भी शुभ फलदायी माना जाता है। इस दिन शिवजी का काले तिल मिले हुए जल से अभिषेक करना चाहिए। इससे शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है। शनि दोष की शांति के लिए शनि जयंती पर महामृत्युंजय मंत्र या ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप किया जाता है। कहते हैं कि भगवान हनुमान जी की पूजा से भी शनि देव प्रसन्न होते हैं इसलिए इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें। साथ ही सुंदरकाण्ड का पाठ करना चाहिए इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं। शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनि जयंती पर व्रत भी रख सकते हैं। इस दिन गरीब लोगों की सहायता करें ऐसा करने से कष्ट दूर होते हैं। इस दिन शनिदेव से संबंधित वस्तुएं जैसे तेल, काली उड़द, काले वस्त्र, लोहा, काला कंबल आदि चीजें दान कर सकते हैं। शनि जयंती पर एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखकर तेल को कटोरी सहित शनि मंदिर या शनि का दान लेने वालों को दान कर दें। ऐसा करने से शनि देव की कृपा बनती है।
इन राशियों पर चल रही है शनि भगवान की साढ़ेसाती ढैय्या—
बता दें कि ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि की महादशा से परेशान लोगों के लिए यह दिन विशेष फल देने वाला होता है। इस समय मिथुन राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है। इस दौरान शनि की वक्री चाल अर्थात उल्टी चाल से इस राशि के जातकों के जीवन में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इन्हें वाहन चलाने में अति सावधानी बरतनी चाहिए। तुला राशि पर भी शनि की ढैय्या का कुप्रभाव है। शनि की उल्टी चाल इस राशि के जातकों पर मुश्किलें ला सकती है। इस दौरान वाद-विवाद से बचें। स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। यात्रा के दौरान कष्ट संभव है। धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। शनि की वक्री चाल से इस दौरान इस राशि के जातकों को अत्यंत सावधान रहने की जरूरत है। इस दौरान किसी भी नए काम की शुरुआत से बचें। संपत्ति के मामले में हानि हो सकती है । वाहन चलाते समय सावधानी बरतने की आवश्यकता है। शनि मकर राशि में ही विराजमान हैं। इनकी वक्री चाल से सबसे अधिक प्रभाव मकर राशि पर ही पड़ेगा मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा है। ऐसे में इस राशि के जातकों को काफी सोच-विचार कर ही काम करना चाहिए। वाद विवाद से बचें, धैर्य से काम करें। कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़े साती का पहला चरण चल रहा है। शनि की वक्री चाल के दौरान कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आर्थिक स्थिति प्रभावित हो सकती है।