14 अप्रैल को केंद्र सरकार ने केंद्रीय दफ्तरों में किया छुट्टी का एलान

अगले साल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा भी दलितों को साधने में जुट गई है। यूपी से लेकर दिल्ली तक भाजपा भी रणनीति बना रही है । इसी को लेकर केंद्र की मोदी सरकार ने एलान किया है कि बाबा साहेब अंबेडकर के जन्मदिन पर 14 अप्रैल को सभी केंद्रीय दफ्तरों में छुट्टी रहेगी। कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय की तरफ से आधिकारिक आदेश में इस फैसले की जानकारी दी गई। इसके साथ ही कहा गया कि डॉक्टर अंबेडकर की जयंती पर केंद्रीय सरकारी दफ्तरों के साथ ही देशभर में औद्योगिक प्रतिष्ठानों को भी बंद रखा जाएगा। वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के अंबेडकर जयंती को ‘दलित दिवाली’ के तौर पर मनाने को लेकर कुछ दलित संगठनों ने नाराजगी जाहिर की है । अंबेडकर महासभा के अध्यक्ष और योगी सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री ‘लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा कि संविधान निर्माता डा. भीमराव अंबेडकर साहेब की जयंती को अमेरिका जैसा देश समता दिवस के रूप में मना रहा है, जबकि समाजवादी पार्टी दलित दिवाली के रूप में मनाने की बात कर रही है’। लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा कि अखिलेश यादव ने बाबा साहेब के कद को घटाने की कोशिश है। यहां आपको बता दें कि अभी कुछ वर्ष पहले तक ‘बसपा प्रमुख मायावती अंबेडकर जयंती को पूरे प्रदेश भर में खूब धूमधाम के साथ मनाती आईं हैं । इसी बहाने बसपा अपने दलित वोट को भी मजबूत करती थी’ । लेकिन हाल के वर्षों में बसपा से दलित वोटर दूर होता चला गया । सपा प्रमुख अखिलेश के दलित दीवाली के सियासी दांव पर फिलहाल बसपा प्रमुख मायावती का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है । लेकिन इतना जरूर है समाजवादी पार्टी ने बसपा की मुश्किलें जरूर बढ़ा दी है । माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अखिलेश यादव ने यह दांव चला है। ऐसे में देखना होगा कि सूबे का दलित मतदाता क्या मायावती का साथ छोड़कर अखिलेश यादव के साथ आएगा? बता दें कि वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा था । लोकसभा चुनाव परिणामों के कुछ समय बाद ही बसपा ने सपा से अलग होने का एलान कर दिया था ।