Sun, December 10, 2023

DW Samachar logo
Search
Close this search box.

Freedom House report downgrades India from ‘free’ to ‘partly free’

अमेरिकी संस्था ने देश के लोगों की ‘आजादी’ पर उठाए गए सवालों से केंद्र मौन तो विपक्ष गदगद

देश में पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर घमासान तेज होता जा रहा है। भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप की बौछारें करने में लगे हुए हैं । इस बीच अमेरिका से एक ऐसी खबर आई जो कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के नेताओं को केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलने का जरूर मौका दे दिया है । आज बात करेंगे देश के ‘नागरिकों की आजादी’ को लेकर । हाल के कुछ वर्षों से विपक्ष केंद्र सरकार पर देशवासियों की ‘आजादी पर अंकुश’ लगाने को लेकर निशाना साध रहा है । चाहे एनआरसी, सीएए, राजद्रोह, किसानों के आंदोलनों से लेकर सोशल मीडिया पर बनाए गए सख्त नियमों की वजह से कांग्रेस भाजपा सरकार को घेरती आ रही है । राहुल गांधी और प्रियंका गांधी मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर लोगों की ‘फ्रीडम’ को लेकर सवाल उठा चुके हैं । अब अमेरिकी नागरिक स्वतंत्रता रेटिंग ने भारत में विपक्ष को पांच राज्यों के सियासी तापमान के बीच हथियार थमा दिया है । आइए आपको बताते हैं इस अमेरिकी ‘फ्रीडम हाउस’ ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में लोगों की स्वतंत्रता को लेकर क्या कहा है । फ्रीडम हाउस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में लोगों की आजादी पहले से कुछ कम हुई है । रिपोर्ट जारी करते हुए इस संस्था ने लिखा कि, भारत एक ‘स्वतंत्र’ देश से ‘आंशिक रूप से स्वतंत्र’ देश में बदल गया है । नागरिक स्वतंत्रता की रेटिंग में सबसे बड़े लोकतंत्र भारत को पिछले साल के 60 में से 37 नबंर के मुकाबले इस साल 60 में से 33 नंबर दिए गए हैं।रिपोर्ट में लिखा है कि सरकार की तरफ से पिछले साल लागू किया गया लॉकडाउन खतरनाक था, इस दौरान लाखों प्रवासी मजदूरों को पलायन का सामना करना पड़ा । बता दें कि इस फ्रीडम हाउस एजेंसी ने ‘पॉलिटिकल फ्रीडम’ और ‘मानवाधिकार’ को लेकर तमाम देशों में रिसर्च करने का दावा करते हुए साफ कहा है कि साल 2014 में भारत में सत्ता परिवर्तन के बाद नागरिकों की स्वतंत्रता में गिरावट आई।

अमेरिकी संस्था ने भारत की स्थिति में परिवर्तन होने का कारण वैश्विक बदलाव भी माना—

डेमोक्रेसी अंडर सीज शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत की स्थिति में जो तब्दीली आई है, वह वैश्विक बदलाव का ही एक हिस्सा है। फ्रीडम हाउस की ओर से कहा गया है कि भारत में मानवाधिकार संगठनों पर दबाव काफी बढ़ गया है। राजद्रोह कानून और मुसलमानों पर हमलों का उल्लेख करते हुए लिखा कि देश में नागरिक स्वतंत्रता के हालत में गिरावट देखी गई है । इसके अलावा सीएए का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों और आलोचना करने वाले पत्रकारों पर निशाना बनाने को भी इसका कारण बताया गया । रिपोर्ट में भारत के लोगों की आजादी कम करने के पीछे का कारण सरकार और उसके सहयोगी पार्टियों की ओर से आलोचकों पर शिकंजा कसना बताया गया है। यही नहीं मोदी सरकार पर लगातार यह आरोप लगता रहा है कि वह विरोध या असहमति की आवाज को बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं है और आवाज को कुचलने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है। बता दें कि ‘फ्रीडम इन द वर्ल्ड’ राजनीतिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता पर एक वार्षिक वैश्विक रिपोर्ट है । इसमें एक जनवरी 2020 से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक 25 बिंदुओं को लेकर 195 देशों और 15 प्रदेशों पर रिसर्च की गई । रिपोर्ट में भारत को 100 में से 67 नंबर दिए गए हैं। जबकि पिछले वर्ष भारत को 100 में से 71 नंबर दिए गए थे। मालूम हो कि फ्रीडम हाउस, जो काफी हद तक अमेरिकी सरकार के अनुदान के माध्यम से वित्त पोषित है, 1941 से लोकतंत्र का मार्ग देख रहा है। यह एजेंसी दुनिया भर के देशों में आजाद का क्या स्तर है, इसकी पड़ताल करता है और इसके बाद इन्हें आजाद, आंशिक आजाद और आजाद नहीं की रैंक देता है। हालांकि अब तक इस रिपोर्ट को लेकर भारत सरकार की तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

Relates News