बिहार विधानसभा के पहले फेज में 28 अक्टूबर को बिहार सरकार के 7 मंत्री होंगे मैदान में

बिहार में चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। तीन चरणों मे होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में पहले फेज का चुनाव 28 अक्टूबर को होना है। इस फेज में 71 सीटों पर वोट डाले जाएंगे । पहला फेज इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि बिहार सरकार के 7 मंत्रियों की किस्मत का फैसला इसी में होना है। साथ ही बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय भी जिन सीटों से लड़ सकते हैं, वहां भी इस फेज में ही वोटिंग होगी।
किन मंत्रियों की किस्मत का होगा फैसला?
- शैलेश कुमार नीतीश सरकार में जदयू कोटे से ग्रामीण कार्य मंत्री हैं।इनका चुनाव छेत्र जमालपुर है। पहली बार फरवरी 2005 में जीते थे। उसके बाद से अक्टूबर 2005, 2010 और 2015 में लगातार चार बार जीत हाशिल कर चुके हैं। अभी हाल ही में कोरोना वायरस से भी रिकवर हुए हैं।
- कृष्णनंदन वर्माः जदयू कोटे से शिक्षा मंत्री हैं। अक्टूबर 2005 के चुनाव में मखदुमपुर से पहली बार चुनाव जीते थे। उसके बाद 2015 में दूसरी बार बिहार के जहानाबाद जिले के घोसी विधानसभा क्षेत्र से जीतकर आए थे।
- राम नारायण मंडलः भाजपा कोटे से सरकार में राजस्व व भूमि सुधार मंत्री हैं। 1990 में पहली बार विधायक चुने गए थे। उसके बाद से लगातार पांच बार विधानसभा पहुंचे। 2015 में 5वीं बार बांका से जीते । राम नारायण मंडल कुछ समय पूर्व तब चर्चा में आए थे, जब उनके विभाग की तरफ से किए गए ट्रांसफर को नीतीश सरकार ने रद्द कर दिया था।
- बृज किशोर बिन्दः भाजपा कोटे से खान व भूतत्व मंत्री हैं और इनका विधानसभा क्षेत्र चैनपुर है। पहली बार 2009 के उपचुनाव में जीते थे। उसके बाद 2010 और 2015 में लगातार दूसरी और तीसरी बार जीते। पहले बसपा में थे, बाद में भाजपा में आ गए।
- जय कुमार सिंहः जदयू कोटे से नीतीश सरकार में उद्योग विज्ञान व तकनीकी मंत्री हैं। ये तीन बार के विधायक हैं। दिनारा विधानसभा सीट से 2015 में भाजपा के राजेंद्र प्रसाद सिंह को 2,691 वोटों से हराया था।
- संतोष कुमार निरालाः जदयू कोटे से सरकार में परिवहन मंत्री हैं। राजपुर से लगातार दो बार के विधायक हैं। पहली बार यहां से 2010 में जीते थे। तथा 2015 में उन्होंने भाजपा के विश्वनाथ राम को 32,788 वोटों से हराया था।
- प्रेम कुमार : बिहार सरकार में बर्तमान में कृषि मंत्री हैं। इन्होंने 2015 में लगातार 7वीं बार गया टाउन विधानसभा क्षेत्र से अपनी जीत दर्ज की थी। प्रेम कुमार भाजपा की ओर से सबसे ज्यादा बार विधायक बनने वाले वयक्ति है, वही जब बीजेपी 2015 चुनाव के बाद बिपक्ष में थी तो प्रेम कुमार को ही अपना नेता चुना था।
गुप्तेश्वर पांडेय बक्सर से लड़ सकते हैं चुनाव
बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय कल हीं जदयू में शामिल हो चुके हैं और अब इस बात में कोई शक नहीं रहा कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे। पहले फेज में बक्सर सीट पर भी वोटिंग होनी है। अभी यहां से कांग्रेस के संजय तिवारी विधायक हैं और ब्राह्मण जाति से आते हैं। गुप्तेश्वर पांडेय भी बक्सर के रहने वाले हैं इसलिए ये अटकलें तेज हो गयी है कि वो बक्सर से चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, अभी तक ये पूरी तरह से साफ नहीं हुआ कि वो कहां से लड़ेंगे।
मांझी चुनाव लड़ेंगे या नहीं
इस फेज में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की उन दोनों सीटों पर भी चुनाव होना है, जहां से उन्होंने पिछली बार चुनाव लड़ा था। पिछली बार मांझी ने जहानाबाद जिले की मखदमपुर और इमामगंज सीट से चुनाव लड़ा था। मखदमपुर से मांझी राजद के सूबेदार दास से हार गए थे। जबकि, इमामगंज से वे चुनाव जीत गए थे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी की तरह ही मांझी भी इस बार चुनाव लड़ने के मूड में नहीं हैं। हालांकि, उनका कहना है कि वो चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इसका फैसला पार्टी करेगी। मांझी को लेकर एक खास बात यह भी है कि वो एक ही सीट से दोबारा चुनाव नहीं जीत पाते हैं।
इसलिए इस बार अगर मांझी चुनाव लड़ते भी हैं, तो इमामगंज और मखदमपुर छोड़ कुटुम्बा से लड़ सकते हैं। कुटुम्बा भी एससी के लिए आरक्षित सीटों में से एक है।
71 में से 22 सीट पर यादवों का कब्जा है
बिहार में चुनाव हो और जाति की बात न हो, यह कैसे हो सकता है। तो पहले फेज में जिन 71 सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें से बर्तमान में 22 पर यादव विधायकों का कब्जा है। जबकि 7-7 विधायक राजपूत, भूमिहार और कुशवाहा हैं जबकि तीन कुर्मी विधायक हैं। पहले फेज में होने वाले चुनाव में एससी-एसटी की 13 सीटों पर वोटिंग होनी है।