नहीं रहे मशहूर शायर राहत इंदौरी ….

इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूं हैं
मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए
और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूं हैं
चाहे जुनून आशिक़ी का या फिर दिल टूटा है हर मर्ज की दवा राहत इंदौरी साहब को सुनते हैं या पढ़ने में हैं । वह आशिक जिसे अपने अदब के दम पर आज के हिन्दुस्तान में अवाम की बेपनाह महबूबियत हासिल है।
ग़ालिब, मीर, ज़ौक, फैज़ और इक़बाल जैसे बड़े शोअराओं के अलावा आज हिन्दी-उर्दू का कैनवस इतना बड़ा सिर्फ इसलिए है क्योंकि अदब की मशाल राहत इंदौरी जैसे शायर के हाथ में है।
आशिक़ ही नहीं इंदौरी साहब ने राजनेताओं पर भी एक से अनेक शेरों शायरी की है। राहत इंदौरी की सबसे खास बात यह है कि वह अवाम के ख़यालात को बयां करने वाले शक्स थें। उनकी ज़बान और लहज़ा ऐसा कि क्या इंदौर और क्या लखनऊ, क्या दिल्ली और क्या लाहौर, हर जगह के लोगों की बात उनकी शायरी में होती थी। इसी प्रतिभा से इंदौरी हर वर्ग के ,हर कौम के दिल पर राज करते आए।
”बनके एक हादसा बाजार में आ जाएगा
जो नहीं होगा वह अखबार में आ जाएग
चोर, उचक्कों की करो कद्र कि मालूम नहीं
कौन कब कौन सी सरकार में आ जाएगा”
मशहूर शायर राहत इंदौरी आज सुबह कोरोना पॉजिटिव हुए थें, और इसकी जानकारी राहत इंदौरी ने खुद ट्वीट कर दी थी और अपनी सलामती के लिए अपने प्रशंसकों को दुआ मांगने की बात भी कही थी लेकिन किसे पता था कि आज हमारे बीच मशहूर शायर नहीं रहेंगे। राहत इंदौरी शाहब को आज दिल का दौरा पड़ने से 70 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह कोरोना वायरस से भी संक्रमित थे, जिसके उपचार के लिए उन्हें मध्य प्रदेश के इंदौर में 10 अगस्त की देर रात अरविंदो अस्तपाल में भर्ती कराया गया था।
“मेरी ख़्वाहिश है कि आंगन में न दीवार उठे
मेरे भाई मेरे हिस्से की ज़मी तू रख ले”
जनाजे पर मेरे लिख देना यारों मोहब्बत करने वाला जा रहा है – अलविदा राहत साहब