मोदी केबिनेट का फैसला,मंडी से बाहर जाकर अनाज बेच सकेंगे किसान…
आज 1 सप्ताह के भीतर केंद्रीय कैबिनेट की दूसरी बैठक प्रधानमंत्री आवास पर हुई।
इस बैठक के बारे में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि कोरोना वायरस संकट के दौरान सरकार ने किसानों के हित में फैसले लिए गए हैं साथ ही साथ इस बैठक ने आवश्यक वस्तु कानून में ऐतिहासिक संशोधनों को अनुमति दी गई है।
जावड़ेकर ने बताया कि सरकार के द्वारा भारत में निवेश आकर्षित करने के लिए मंत्रालयों और विभागों में सचिवों का समूह और प्रोजेक्ट डेवलपमेंट सेल यानी पीडीसी स्थापित करने को अनुमति दी है।इसके अलावा सरकार ने कई अहम फैसले आज प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में लिए है ।
ये फैसले कृषि क्षेत्र में सकारात्मक सुधार लाएंगे और किसानों को सशक्त करेंगे।
मुख्य फैसले….
किसानों को अपने उत्पाद की उचित कीमत मिलेगी।
आवश्यक वस्तु कानून में आज किसानों के हित के मुताबिक कई सुधार किए गए हैं।
कृषि उत्पादों की बहुतायत के कारण बंधनों वाले कानून की जरूरत नहीं है अब किसान मंडी समिति से बाहर जा कर भी कृषि उत्पाद बेच सकेंगे।
सरकार ने आयुष मंत्रालय के अधीनस्थ कार्यालय के रूप में भारतीय दवाओं और होम्योपैथी के लिए फार्माकोपिया कमीशन गठित करने को अनुमति दी है।
पीएम किसान सम्मान निधि से एकमुश्त एकमुश्त 75 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।
13 हजार किसानों ने प्रीमियम भरा है। 64 हजार करोड़ के नुकसान की भरपाई की गई है।
हर मंत्रालय में प्रोजेक्ट डेवलपमेंट सेल होगी।
आयुष मंत्रालय की गाजियाबाद की दो लैब का मर्जर होगा, इससे दूसरी ड्रग्स का स्टैंडर्डाइजेशन सुनिश्चित होगा।
किसानों को अपना उत्पाद सीधे निर्यातकों को बेचने की अनुमति मिली।
किसानों को अपने उत्पाद की अधिक से अधिक कीमत मिलेगी।
किसान की सामाजिक सुरक्षा के लिए किसान मान धन योजना बनाई गई है।
सभी किसानों को क्रेडिट कार्ड मिले सके, इस पर काम किया जा रहा है।
खाद सब्सिडी में 80 हजार करोड़ रुपये दिए गए हैं।
किसान क्रेडिट कार्ड से चार लाख करोड़ किसानों को कर्ज मिला
किसान को खरीद की गारंटी मिले तो उत्पाद की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है।
10 हजार नए एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) बनाए जाएंगे
किसान की संरक्षा के लिए कृषि मंत्रालय अनुबंध के मॉडल पर काम करेगा।
अनुबंध के तहत पैदा किए गए कृषि उत्पादों पर राज्यों का कर लागू नहीं होगा।
इस अनुबंध में किसानों और अन्य संस्थाओं के बीच विवाद के निपटारा का प्रावधान होगा।
कोई भी फैसला किसान की जमीन के खिलाफ नहीं होगा।
कृषि उत्पादों का मूल्य अधिक होने की स्थिति में किसानों को भी इसका एक भाग मिलेगा।